Monday, 18 September 2017

हसरतों के कच्चे धागों में
पिरोई माला सी ये ज़िंदगी
हर मनका इसकी गिरह से
आज़ाद हुआ चाहता है...

वो देख तेरी आँखों के
अरमानों का तैरता बादल
हवाओं की कश्तियों पे
सवार हुआ चाहता है.....

ज़िंदगी है, इसे जी ले यूँ ही
मायनों में इसके न हो गुमराह
दिल के धड़कने की आवाज तू सुन
क़ैद ए नफ़स से अब ये
आज़ाद हुआ चाहता है...

हंगामों से गुज़रे कुछ ऐसे हम ताउम्र
खत्म अब कार ए जहां किए बैठे हैं।।

आवाज़ों के सिलसिले अब छूट जाने लगे हैं
खामोशियाँ अब रफ्तार ए जहाँ हुई जाती हैं



भाव विलीन
विचार अंतहीन...
शब्द विहीन

(हाईकू)

Tuesday, 25 April 2017

"मोहब्बत में ख्याल-ए-साहिल-ओ-मंज़िल है नादानी
जो इन राहों पे लुट जाये, वही तक़दीर वाला है."

Monday, 17 April 2017



मुझे क्यों हो डर तबाह ओ दिल ओ दीं का
मेरे यार की दुआओं का फैज़ है मुझ पे।

फैज़= favour ( here)

Thursday, 16 March 2017

#शनिवार_शायरी
#अभिव्यक्ति

विचार का व्योम से
विवेक का दृष्टिकोण से

सौंदर्य का अलंकार से
अस्तित्व का आभार से

वाणी का कृत्य से
स्नेह का हृदय से

गूढ़ता का भेद से
समय का रेत से

रीति का काल से
समझ का सवाल से

पर्व का आयोजन से
वचन का प्रयोजन से

शून्य का ज्ञान से
अहं का मान से

माता का अपत्य से
सत्य का तत्व से

दृष्टि का ध्यान से
वक्ता का व्याख्यान से

अभ्यंतर संवाद अभी बाकी है…..
सृष्टि से साक्षात्कार अभी बाकी है…..


*व्योम- ethereal/celestial energy which fills all the spaces(here)
*कृत्य- act
*अपत्य - offspring
*तत्व - fact
* अभ्यंतर- internal

 अनुशासनहीनता, अराजकता* और अनैतिकता** के उन असंख्य अवशेषों*** को तेजस्वी प्रकाश में बदलने की शक्ति इस ब्रह्मांड की दिव्यता**** है समय और स्थ...