मेरे शऊर के मौसम ने रंग बदला है आज
के संभले हुए अलफ़ाज़ देखो, धूप में बिखरे हैं ....
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फासलों में हौसला नहीं , के छीन लें मेरी मुहोब्बत मुझसे
इन आते-जाते लम्हों में ही, ज़िन्दगी गुज़ार ली हमने l
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तेरी नज़रों का असर कुछ इस तरह हुआ हम पे
के वक़्त यूँ ही गुज़र गया, कुछ कह न सके हम।
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बहुत रोका लेकिन, निकल ही आये कमबख्त आंसू
उनकी याद में हमने ऐसी भी गुस्ताखियाँ की हैं l
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न गिला कर ऐ हमनवां अपनी तकदीर से,
बाजारे- वफ़ा में दोस्त कहाँ मिला करते हैं l