Saturday, 20 June 2015

खेल वही है, पाले बदल जाते हैं
खिलाडी वही है, दल बदल जाते हैं
हार की, जीत की बाज़ी का खेल है ये
खेले जा रहे हैं, बस खेले जा रहे हैं.... 
साँझ की सुनहरी धूप में
उस छोटी सी चिड़िया का फुदकना चहकना
और हरी कोमल दूब पर दूर
तक जाती, फैलती ये नज़र.....


               वो जो वहां एक छोटा सा
               फूल खिला है, खुले नीले
               आकाश की ओट लिए
               हलकी हवा के झोंकों से
               इठलाता महकता
               खुश है प्रकृति की गोद में

रंगों और जीवन आभा से
अलंकृत इस धरा को
नमन है मेरा, नमन है मेरा।।  

 अनुशासनहीनता, अराजकता* और अनैतिकता** के उन असंख्य अवशेषों*** को तेजस्वी प्रकाश में बदलने की शक्ति इस ब्रह्मांड की दिव्यता**** है समय और स्थ...