सब्र है, अश्क हैं, शिकायतें भी हैं
इश्क है, वफा है, इनायतें भी हैं
ये फरेब-ए-साक़ी-ए-महफिल है दोस्त
यहाँ दिलों को तोड़ने की रिवायतें भी हैं
अनुशासनहीनता, अराजकता* और अनैतिकता** के उन असंख्य अवशेषों*** को तेजस्वी प्रकाश में बदलने की शक्ति इस ब्रह्मांड की दिव्यता**** है समय और स्थ...