Wednesday 20 April 2016

वो वस्ल की शब और वो एहसास-ए-क़ैफे मुख़्तसर
भीगा था चाँद भी जब तेरे हुस्न की रानाई में
अब धुआं धुआं से होते लफ्ज़ और खामोश चेहरे
दरो दीवार पर बदनुमां निशां हो गए हों जैसे ।।
अज़ाब लम्हों की खामोश कहानियों सा
गुमनाम सायों की असरार ए हस्ती सा
हर्फ ए बेआवाज़ और रुह ए बेकरार

मेरा एक शे'र कहीं खो गया है....

अज़ाब= suffering
असरार= secret

My window view

 Looking out of  My window I see wonder; Cease to think of The distressing Evocation of The current  Juncture. I lived a few Delightful  Mom...