Showing posts with label sep.2008. Show all posts
Showing posts with label sep.2008. Show all posts

Tuesday 9 August 2011

यूँ ही कभी -कभी

मिले थे तुमसे कभी
बात पुरानी हो गयी ;
वक़्त कुछ ऐसा बदला आज
मुझी को मुझसे मिलवा 
दिया   मेरे यार ने.
               
                ..........................


ख़याल हों, पंछी हों, बादल हों या हवा
मौसम को सुहाना कर ही जाते हैं.

                ..........................

ज़िन्दगी के ग़मों में कुछ इस कदर मसरूफ थे हम,
आज आइना गौर से देखा तो अच्छा लगा.

               ............................

वक़्त का दरिया बहा ले गया तिनके की तरह
सर उठाया तो पाया खुद को वहीँ.......
जहाँ डूबे थे बरसों पहले हम.

                ...........................

कुछ न कहना, फिर कह कर भूल जाना
खुद से ही बात न करने की आदत है मुझे.

                .........................

जिंदगी के बही-खातों में गर्क हो गए कुछ इस तरह
कि जी रहें हैं अभी, यही याद न रहा.

               .........................

वक़्त ने कुछ ऐसी रफ़्तार दिखाई
पुरानी किताब से जब धूल हटाई
तो कहानी बदल चुकी थी........

              .......................... 


असर हुआ कुछ ऐसा
उनकी बातों का,
कि दिलों के राज़
खोलने लगे हम.

My window view

 Looking out of  My window I see wonder; Cease to think of The distressing Evocation of The current  Juncture. I lived a few Delightful  Mom...