कुछ इस तरह से निकले
अपनी आरामगाहों से
यूँ बिखरे के फिर उड़ न पाये
जली शाख के परिंदे।।
अपनी आरामगाहों से
यूँ बिखरे के फिर उड़ न पाये
जली शाख के परिंदे।।
Looking out of My window I see wonder; Cease to think of The distressing Evocation of The current Juncture. I lived a few Delightful Mom...