Friday, 8 July 2016

उनकी यादों की खुश्बू से
महकती है ये मुसल्सल* continuously
मेरे शहर की गलियों को
तू यूँ तो बदनाम न कर

वो जो देखी थीं उस रात
गुज़रती रोशनियाँ ही तो थीं
ला-महदूद* सी उन सड़को को  *infinite
अपनी मंज़िलों से अनजान न कर

तज़ादों* से भरी इस दुनिया में *contradictions
बौराया सा क्यूँ फिरे है आदमी
हाथों की इन सुनहरी लकीरों को
वक्त के आगे मेज़बान न कर

उन अधखुली खिड़कियों के
राज़दाँ अब नहीं हैं कहीं
हम-ज़बाँ जो न बन सका, न सही
मेरे मेहरबां, यूँ बदगुमां तो न कर।।




A Prayer


I am single and feeling low
My flight might be very slow
Crushed with the heavy burden
And hence
I submit myself in the need of strength
Confirm me in thy peace and love
As life is a broken winged bird...

My window view

 Looking out of  My window I see wonder; Cease to think of The distressing Evocation of The current  Juncture. I lived a few Delightful  Mom...