Wednesday, 10 July 2019

उस दैवी शक्ति ने किया था
यह वरदान जब निश्चित
माँ बनी थी मैं, तुम्हारे
जादुई आकर्षण से मोहित।

कुछ हँसी, कुछ चोट, कुछ क्षति
कुछ पीड़ा, कुछ कष्ट और उपहति
तब सीखा तुमने सूत्र नव नूतन
हर दिन अनुभव, हो हर दिन अनुपम।

मेरे कंठहार, मेरे शीश मुकुट
निश्चल नंदन, सौम्यता संपन्न
बनो ऊर्जा के तुम शक्ति स्तंभ
जीवन पथ उन्नत, भेदो भय को
हर संकट, हर बाधा से निकलो।©

 अनुशासनहीनता, अराजकता* और अनैतिकता** के उन असंख्य अवशेषों*** को तेजस्वी प्रकाश में बदलने की शक्ति इस ब्रह्मांड की दिव्यता**** है समय और स्थ...