Friday, 4 September 2015

बिखरा है जो मेरे घर की छत पे ये जो चाँदी सा
तेरे नूर की चादर का ही लश्कारा है।।

 अनुशासनहीनता, अराजकता* और अनैतिकता** के उन असंख्य अवशेषों*** को तेजस्वी प्रकाश में बदलने की शक्ति इस ब्रह्मांड की दिव्यता**** है समय और स्थ...