मेरे शऊर के मौसम ने रंग बदला है आज
के संभले हुए अलफ़ाज़ देखो, धूप में बिखरे हैं ....
---------------------
फासलों में हौसला नहीं , के छीन लें मेरी मुहोब्बत मुझसे
इन आते-जाते लम्हों में ही, ज़िन्दगी गुज़ार ली हमने l
----------------------
तेरी नज़रों का असर कुछ इस तरह हुआ हम पे
के वक़्त यूँ ही गुज़र गया, कुछ कह न सके हम।
-----------------------
बहुत रोका लेकिन, निकल ही आये कमबख्त आंसू
उनकी याद में हमने ऐसी भी गुस्ताखियाँ की हैं l
------------------------
न गिला कर ऐ हमनवां अपनी तकदीर से,
बाजारे- वफ़ा में दोस्त कहाँ मिला करते हैं l
No comments:
Post a Comment