इस शाम का अंत होगा रात के साथ
सूरज की सुनहरी किरणें डूब जाएँगी
धरती के नीचे-----
और छा जायेगा वही गहरा अन्धकार
जो जीवन के हर नकली चेहरे को
नोच डालेगा.
यही तो है रात का उजाला
जो सबको बेनकाब करता है!
क्या यही वो रात होगी जो
जीवन के अनछुए कोनों को
प्रकाशित कर देगी?
वही अनछुए कोने जहाँ
प्यार का झूठा अन्धकार भरा है;
क्या यही वो रात होगी जो
जीवन की हर सच्चाई को
सामने ला देगी?
वही सच्चाई जो आज
झूठ बन कर फैली है;
पर यह रात तो घुल रही है
इस रात का अंत होगा सुबह के साथ
सूरज की सुनहरी किरणें फ़ैल जाएँगी
धरती पर---
और सामने रह जायेंगे
वही झूठे चेहरे, जो फिर
नकाब से ढक चुके होंगे.....
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