शहर की सुनसान सड़क से
रात के वीराने में ,
कोई आवाज़ आती है
जैसे, इस निर्जीव जीवन में
अब भी कुछ स्पंदन है....
यही है आशा जीने की
मन में आशादीप जलाये रखना.
एक सा समतल सा जीवन नहीं है ये
कुछ ऐसा भी है इसमें
जो धड़कता है, बोलता है
एहसास भी करता है जीने का
तुम भी एहसास कराये रखना
यही है आशा जीने की
मन में आशादीप जलाये रखना.
है उम्मीदों से आगे भी दुनिया
इक मेले सी है चहल पहल,
उम्मीदों के फूल खिलाये रखना
यही है आशा जीने की
मन में आशादीप जलाये रखना.
क्यों करते हो बात वीरानी की ?
शहर की सुनसान सड़क से
रात के वीराने में,
कोई आवाज़ आती है
जैसे इस निर्जीव जीवन में
अब भी कुछ स्पंदन है......
यही है आशा जीने की
मन में आशादीप जलाये रखना.
No comments:
Post a Comment