Wednesday, 29 July 2015

बूँदें बन के बरस जाती हैं
मेरे आँगन में.....
तुम्हारी शोखियां कितनी
खुशगवार लगती हैं।।
शायर नहीं हूँ मैं
बस यूँ  बिखरते  पलों को
शब्दों का लिबास पहना देती हूँ ;
मेरे दिल की बस्ती में
दस्तक देता है जब ख़याल कोई
उन्हीं गुज़रते लम्हों  को सहेज लेती हूँ;
अंदाज़-ऐ-बयां ही कुछ ऐसा है
साँसों के पन्ने  पलट कर, बस 
ज़िन्दगी की किताब लिखती  हूँ।  
यूँ  ही मिल गयी है उन्हें
                           मंजिल-ऐ-हशर,
तेरी आब का ही असर है
                           दीवानों की महफ़िल में। 


रास्तों से गुज़रती है,
मिलती है हमराहों से,
किस्से कहानियों के सफर में
कुछ कहती है
कुछ सुनती है...

मेरे शहर की गलियों में
ज़िन्दगी यूँ मिल जाती है।

Sunday, 21 June 2015

हाल-ऐ -दिल की बात है
शब्दों में सिमटे कुछ पलों की बात है
दस्तक देता है जब ख़याल कोई
उन्ही लम्हों के बीतने की बात है
शायर नहीं हूँ मैं यारों
ये अंदाज़ -ऐ-ज़िन्दगी की बात है।

Saturday, 20 June 2015

खेल वही है, पाले बदल जाते हैं
खिलाडी वही है, दल बदल जाते हैं
हार की, जीत की बाज़ी का खेल है ये
खेले जा रहे हैं, बस खेले जा रहे हैं.... 
साँझ की सुनहरी धूप में
उस छोटी सी चिड़िया का फुदकना चहकना
और हरी कोमल दूब पर दूर
तक जाती, फैलती ये नज़र.....


               वो जो वहां एक छोटा सा
               फूल खिला है, खुले नीले
               आकाश की ओट लिए
               हलकी हवा के झोंकों से
               इठलाता महकता
               खुश है प्रकृति की गोद में

रंगों और जीवन आभा से
अलंकृत इस धरा को
नमन है मेरा, नमन है मेरा।।  

 अनुशासनहीनता, अराजकता* और अनैतिकता** के उन असंख्य अवशेषों*** को तेजस्वी प्रकाश में बदलने की शक्ति इस ब्रह्मांड की दिव्यता**** है समय और स्थ...