साँझ की सुनहरी धूप में
उस छोटी सी चिड़िया का फुदकना चहकना
और हरी कोमल दूब पर दूर
तक जाती, फैलती ये नज़र.....
वो जो वहां एक छोटा सा
फूल खिला है, खुले नीले
आकाश की ओट लिए
हलकी हवा के झोंकों से
इठलाता महकता
खुश है प्रकृति की गोद में
रंगों और जीवन आभा से
अलंकृत इस धरा को
नमन है मेरा, नमन है मेरा।।
उस छोटी सी चिड़िया का फुदकना चहकना
और हरी कोमल दूब पर दूर
तक जाती, फैलती ये नज़र.....
वो जो वहां एक छोटा सा
फूल खिला है, खुले नीले
आकाश की ओट लिए
हलकी हवा के झोंकों से
इठलाता महकता
खुश है प्रकृति की गोद में
रंगों और जीवन आभा से
अलंकृत इस धरा को
नमन है मेरा, नमन है मेरा।।
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