हसरतों के कच्चे धागों में
पिरोई माला सी ये ज़िंदगी
हर मनका इसकी गिरह से
आज़ाद हुआ चाहता है...
वो देख तेरी आँखों के
अरमानों का तैरता बादल
हवाओं की कश्तियों पे
सवार हुआ चाहता है.....
ज़िंदगी है, इसे जी ले यूँ ही
मायनों में इसके न हो गुमराह
दिल के धड़कने की आवाज तू सुन
क़ैद ए नफ़स से अब ये
आज़ाद हुआ चाहता है...
पिरोई माला सी ये ज़िंदगी
हर मनका इसकी गिरह से
आज़ाद हुआ चाहता है...
वो देख तेरी आँखों के
अरमानों का तैरता बादल
हवाओं की कश्तियों पे
सवार हुआ चाहता है.....
ज़िंदगी है, इसे जी ले यूँ ही
मायनों में इसके न हो गुमराह
दिल के धड़कने की आवाज तू सुन
क़ैद ए नफ़स से अब ये
आज़ाद हुआ चाहता है...