Saturday, 16 April 2016



मुझे क्यों हो डर तबाह ओ दिल ओ दीं का
मेरे यार की दुआओं का फैज़ है मुझ पे।।
आइए के महफिल सजी है दिल ए ख़ाना खराब में
अब तो शमा भी रोशन हुई आपके इंतज़ार में।।

Friday, 25 March 2016

मेरी दीवानगी के मुझे यूँ सिले मिले हैं यारों
के ज़िंदगी दर्द-ए-मुस्तक़िल हो गई है यारों
राज़-ए-इश्क भी मेरा, जज़्बा-ए-शौक भी है
गो अश्क अब बेजु़बां हो गए हैं यारों।।

Saturday, 19 March 2016

उनकी शिरीं बयानी में कुछ इस तरह डूबे हम
कि फ़ना तो न हुए, बस जलेबी हो गए।।

शिरीं बयानी = sweet talk
मेरी जू ए तिश्नगी ही बस उनका राह ए ख्याल न था
उनका एहसास ए ग़म भी मेरा आब ए सराब हो गया।।

जू ए तिश्नगी = source of thirst
आब ए सराब = mirage

हर लम्हा उसके ख्याल ए विसाल से दूर भागा हूँ मैं
कि हिज्र की लम्बी वीरान रातों में यूँ जागा हूँ मैं।।

Wednesday, 16 March 2016

परदों से झांकती ज़िदगी
अनंत संभावनाओं की तलाश में
जैसे तैयार हो रही हो
एक सफल उड़ान भरने को...

एक परितृप्त श्वास से भरपूर
और नवीन सामर्थ्य से परिपूर्ण
ये उठी है नया पराक्रम लेकर
नवजीवन के प्रारम्भ का विस्तार छूने।

परिधियों से बाहर आने की आतुरता
आसक्ति नहीं, प्रतिलब्धता
समीक्षा नहीं,  अनंतता
विस्तारित व्योम को बस छू लेने की लालसा.....

परदों से झांकती ज़िन्दगी।।


My window view

 Looking out of  My window I see wonder; Cease to think of The distressing Evocation of The current  Juncture. I lived a few Delightful  Mom...