Saturday, 19 March 2016


हर लम्हा उसके ख्याल ए विसाल से दूर भागा हूँ मैं
कि हिज्र की लम्बी वीरान रातों में यूँ जागा हूँ मैं।।

No comments:

 अनुशासनहीनता, अराजकता* और अनैतिकता** के उन असंख्य अवशेषों*** को तेजस्वी प्रकाश में बदलने की शक्ति इस ब्रह्मांड की दिव्यता**** है समय और स्थ...