Wednesday, 16 March 2016
Monday, 11 January 2016
Saturday, 12 December 2015
Tuesday, 8 December 2015
Thursday, 3 December 2015
सुबह की हल्की ठंडी धूप
और बहती हुई गुनगुनी बयार
उस पर यूँ के जैसे कहीं दूर
कोई गा रहा राग बहार।
सरसराती सी आहट यूं गुज़री है करीब से
जैसे हवा की सरगोशियों ने कुछ कहा है
कुछ छन्न सा टपका है पास ही कहीं!
तेरे आने का पैगाम तो नहीं आया है ?
वो अठखेलियां करती नन्ही गिलहरी
ये धीरे से लहराता पीला गुलाब
उस पपीहे की धीमी धीमी गुंजन
इशारा करती कोई मधुर सी आहट।
मेरे घर के उस गरम कोने में
कल एक सूरजमुखी खिला है।।
और बहती हुई गुनगुनी बयार
उस पर यूँ के जैसे कहीं दूर
कोई गा रहा राग बहार।
सरसराती सी आहट यूं गुज़री है करीब से
जैसे हवा की सरगोशियों ने कुछ कहा है
कुछ छन्न सा टपका है पास ही कहीं!
तेरे आने का पैगाम तो नहीं आया है ?
वो अठखेलियां करती नन्ही गिलहरी
ये धीरे से लहराता पीला गुलाब
उस पपीहे की धीमी धीमी गुंजन
इशारा करती कोई मधुर सी आहट।
मेरे घर के उस गरम कोने में
कल एक सूरजमुखी खिला है।।
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A Scene From My Window प्रगाढ़ विचार ____________ सुनो....
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कुछ यूँ छू गई अदा-ए-पुर्सिश-ए-यार की के आरज़ू बढ़ती गई उनसे मुलाकात की।।