दर्दे-इश्क की ज़मीं पर
खिले हैं जो ये गुल
इनकी दास्तानें लबरेज़ हैं
उनकी ख़ताकारियों से।।
खिले हैं जो ये गुल
इनकी दास्तानें लबरेज़ हैं
उनकी ख़ताकारियों से।।
Looking out of My window I see wonder; Cease to think of The distressing Evocation of The current Juncture. I lived a few Delightful Mom...