यूँ ही मिल गयी है उन्हें
मंजिल-ऐ-हशर,
तेरी आब का ही असर है
दीवानों की महफ़िल में।
मंजिल-ऐ-हशर,
तेरी आब का ही असर है
दीवानों की महफ़िल में।
Looking out of My window I see wonder; Cease to think of The distressing Evocation of The current Juncture. I lived a few Delightful Mom...