नैनों में प्यार, लबों पे इनकार
खामोश तकरार, बहार पुर-बहार
कितने संसार, एक कमरे में....।।
महीना आषाढ़, गर्मी से बेज़ार
बारिश का इंतज़ार बे इख्तियार
ये रंग-ए- कायनात
कितने संसार, एक कमरे में...।।
खामोश तकरार, बहार पुर-बहार
कितने संसार, एक कमरे में....।।
महीना आषाढ़, गर्मी से बेज़ार
बारिश का इंतज़ार बे इख्तियार
ये रंग-ए- कायनात
कितने संसार, एक कमरे में...।।
No comments:
Post a Comment