सूरज जब अपनी रोशनी खोने लगे
हवा में जब सरगोशियाँ होने लगे
पंछी घरोंदों को जब लौटने लगें,
धीरे से, चुपके से बैंगनी आस्मां में
दिखा देते हो तुम चमत्कार.....
इतराते हुए, बल खाते हुए
मुस्कुराते हुए, इठलाते हुए
चमकते हो, दमकते हो
अपनी खूबसूरती दर्शाते हुए
करते हो सबको बेक़रार........
गगन का चाँद तो नहीं हो ना तुम?
बस एक 'मर्सेदीस' का 'लोगो' ही तो हो!
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