Monday, 23 October 2017

सब्र है, अश्क हैं, शिकायतें भी हैं
इश्क है, वफा है, इनायतें भी हैं
ये फरेब-ए-साक़ी-ए-महफिल है दोस्त
यहाँ दिलों को तोड़ने की रिवायतें भी हैं


आस्मां हो जाए जो धनक रंग इक दिन
उस ख्वाब की तलाश बाकी है अभी।।

इन्सां होने की रस्म बस निभा दे जो वो
इस सोच का सफर तमाम बाकी है अभी।।

खुशबू सा बिखरा है अधूरा सा है मगर
निगाहों में उसकी आफताब बाकी है अभी।।

रहबर ए मंज़िल तो हुए, फिर रुठ गये मगर
दिल का ना मुकम्मल सवाब बाकी है अभी।।

( रहबर ए मंज़िल जो थे कभी, छूट गए तो क्या
  दर्दे जहां का ये सफ़र बाकी है अभी )

Monday, 18 September 2017

हसरतों के कच्चे धागों में
पिरोई माला सी ये ज़िंदगी
हर मनका इसकी गिरह से
आज़ाद हुआ चाहता है...

वो देख तेरी आँखों के
अरमानों का तैरता बादल
हवाओं की कश्तियों पे
सवार हुआ चाहता है.....

ज़िंदगी है, इसे जी ले यूँ ही
मायनों में इसके न हो गुमराह
दिल के धड़कने की आवाज तू सुन
क़ैद ए नफ़स से अब ये
आज़ाद हुआ चाहता है...

हंगामों से गुज़रे कुछ ऐसे हम ताउम्र
खत्म अब कार ए जहां किए बैठे हैं।।

आवाज़ों के सिलसिले अब छूट जाने लगे हैं
खामोशियाँ अब रफ्तार ए जहाँ हुई जाती हैं



भाव विलीन
विचार अंतहीन...
शब्द विहीन

(हाईकू)

Tuesday, 25 April 2017

"मोहब्बत में ख्याल-ए-साहिल-ओ-मंज़िल है नादानी
जो इन राहों पे लुट जाये, वही तक़दीर वाला है."

 अनुशासनहीनता, अराजकता* और अनैतिकता** के उन असंख्य अवशेषों*** को तेजस्वी प्रकाश में बदलने की शक्ति इस ब्रह्मांड की दिव्यता**** है समय और स्थ...