Friday, 28 August 2015

हिन्दी हाइकू

रक्षाबंधन
पावन बचपन 
यादों का झूला।।

प्रीत दुलार
आत्मीयता अपार
गहरा प्यार।।

Wednesday, 19 August 2015

ईद का चाँद भी नज़र अब आता है तन्हा मुझको

हैरां हूँ ऐ आसमां, तेरा रंग-ओ-अंदाज देख कर।।

Tuesday, 18 August 2015

याद आती है कलम की स्याही और किताब के पन्नों की खुशबू
जब खुली धूप में बैठकर हम खामोशियां सुना करते थे।।

Sunday, 9 August 2015

राज़ कैफे-जिंदगी का यही है मेरे यारां
के बेइख्तेयारी में ही गुनगुनाने की अदा पाई है।।
दर्दे-इश्क की ज़मीं पर
खिले हैं जो ये गुल
इनकी दास्तानें लबरेज़ हैं
उनकी ख़ताकारियों से।।

Wednesday, 29 July 2015

बूँदें बन के बरस जाती हैं
मेरे आँगन में.....
तुम्हारी शोखियां कितनी
खुशगवार लगती हैं।।
शायर नहीं हूँ मैं
बस यूँ  बिखरते  पलों को
शब्दों का लिबास पहना देती हूँ ;
मेरे दिल की बस्ती में
दस्तक देता है जब ख़याल कोई
उन्हीं गुज़रते लम्हों  को सहेज लेती हूँ;
अंदाज़-ऐ-बयां ही कुछ ऐसा है
साँसों के पन्ने  पलट कर, बस 
ज़िन्दगी की किताब लिखती  हूँ।  

 अनुशासनहीनता, अराजकता* और अनैतिकता** के उन असंख्य अवशेषों*** को तेजस्वी प्रकाश में बदलने की शक्ति इस ब्रह्मांड की दिव्यता**** है समय और स्थ...