याद आती है कलम की स्याही और किताब के पन्नों की खुशबू
जब खुली धूप में बैठकर हम खामोशियां सुना करते थे।।
जब खुली धूप में बैठकर हम खामोशियां सुना करते थे।।
अनुशासनहीनता, अराजकता* और अनैतिकता** के उन असंख्य अवशेषों*** को तेजस्वी प्रकाश में बदलने की शक्ति इस ब्रह्मांड की दिव्यता**** है समय और स्थ...