Wednesday, 15 June 2016



हर बात पे कुछ कहूँ ये ज़रूरी तो नहीं
तेरे दीदार का तसव्वुर* करूँ ये ज़रूरी तो नहीं

* imagination/ fancy    

हर शख्स तेरे नाम का दीवाना है हुआ
मुझे इस सवाब* की तमन्ना हो ये जरूरी तो नहीं

* reward

ये कायनात-ए-अज़ीम* बुलाती है मुझे बारहा**
नज़्में गम-ए-इश्क की मैं रोज़ पढ़ूँ ये ज़रूरी तो नहीं

* The great universe
** again & again

हर्फ ओ नवा* की जादूगरी का अंदाजा है मुझे
शाम ओ सहर इनकी ताबीर** करूँ ये ज़रूरी तो नहीं        

*word and sound
**interpretation

बैठी हूँ उसके दर पे मुतमईं* हो के मैं
अश्क ओ आह की तहरीर** पढ़ूँ ये ज़रूरी तो नहीं

* Contended
** script

हर कोई है आज अपनी पहचान का तालिब*
मैं भी ये इंतखाब** करुँ ये ज़रूरी तो नहीं

* seeker
** selection

बे चरागाँ* बस्तियों के बाशिंदे हैं ये सब
इनकी आहों में असर हो ये ज़रूरी तो नहीं।

* dark

उसकी अलामत ए दर्द *की भी क्या कहें
उजड़े से इस चमन का बागबान है ये आदमी ।।

* sign of pain

Wednesday, 1 June 2016

ख्वाबों में वो जो रुख ए पुरनूर हुआ
मेरा इश्क ही अब मेरा सुरुर हुआ।।

Wednesday, 18 May 2016

अब तो मयखाना भी सूकूं नही देता
ज़िक्र ए जमहूरियत
अब
वहाँ भी पसर बैठा है।।

Monday, 2 May 2016

'अपने किरदार को मौसम से बचाकर रखना
के फूलों में लौट कर कभी आती नहीं खुशबू।'

Monday, 25 April 2016

"मोहब्बत में ख्याल-ए-साहिल ओ' मंज़िल है नादानी
जो इन राहों पे लुट जाये, वही तक़दीर वाला है."

Wednesday, 20 April 2016

वो वस्ल की शब और वो एहसास-ए-क़ैफे मुख़्तसर
भीगा था चाँद भी जब तेरे हुस्न की रानाई में
अब धुआं धुआं से होते लफ्ज़ और खामोश चेहरे
दरो दीवार पर बदनुमां निशां हो गए हों जैसे ।।

My window view

 Looking out of  My window I see wonder; Cease to think of The distressing Evocation of The current  Juncture. I lived a few Delightful  Mom...