ख्वाबों में वो जो रुख ए पुरनूर हुआ
मेरा इश्क ही अब मेरा सुरुर हुआ।।
Wednesday, 18 May 2016
अब तो मयखाना भी सूकूं नही देता
ज़िक्र ए जमहूरियत
अब
वहाँ भी पसर बैठा है।।
Monday, 2 May 2016
'अपने किरदार को मौसम से बचाकर रखना
के फूलों में लौट कर कभी आती नहीं खुशबू।'
Monday, 25 April 2016
"मोहब्बत में ख्याल-ए-साहिल ओ' मंज़िल है नादानी
जो इन राहों पे लुट जाये, वही तक़दीर वाला है."
Wednesday, 20 April 2016
वो वस्ल की शब और वो एहसास-ए-क़ैफे मुख़्तसर
भीगा था चाँद भी जब तेरे हुस्न की रानाई में
अब धुआं धुआं से होते लफ्ज़ और खामोश चेहरे
दरो दीवार पर बदनुमां निशां हो गए हों जैसे ।।
अज़ाब लम्हों की खामोश कहानियों सा
गुमनाम सायों की असरार ए हस्ती सा
हर्फ ए बेआवाज़ और रुह ए बेकरार
मेरा एक शे'र कहीं खो गया है....
अज़ाब= suffering
असरार= secret
Tuesday, 19 April 2016
दिल ओ' दिमाग की लड़ाई में
सरहदों से फ़ासले हैं
इसकी मानें तो आशिक
उसकी कहें तो नाखुदा